पुरातन इंजीनियरिंग का कमाल, आड़े-टेढ़े पत्थरों पर टिका ग्वालियर का सास-बहु मंदिर
Sas Bahu Temple
ग्वालियर दुर्ग पर नजर आने वाले महलों का निर्माण अलग-अलग शासकों ने कराया था।
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आड़ा-टेढ़ा और एक के उपर एक रखे पत्थरों पर टिका सास-बहु मंदिर।
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जिसे सहस्त्रबाहु मंदिर और हरिसदानाम मंदिर के नाम से भी जाना है।
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सास-बहु नाम से एक और मंदिर का उल्लेख राजस्थान के नागदा गांव में मिलता है।
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मंदिर ऐसा लगता है मानो गिरने वाला हो, लेकिन तेज हवाएं भी इसका कुछ न बिगाड़ सकीं।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 1093 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।
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मंदिरो को सास और बहु ने बनवाया, इसलिए इसका नाम सास-बहु मंदिर पड़ा।
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मंदिर को कुशल इंजीनियरिंग की मिसाल कहा जा सकता है।
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ग्वालियर दुर्ग पर पहुंचने वाले सैलानी सभी जगह घूमने के बाद सास-बहु मंदिर परिसर में जरूर पहुंचते हैं।
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