हाल ही में कांग्रेस का छत्तीसगढ़ के रायपुर में महाअधिवेशन हुआ था। जिसमें स्वागत के दौरान ये माला पहनाई गई थीं।

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस नेताओं का इस माला को पहनाकर स्वागत किया था। 

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सोने की तरह दिखने वाली इस माला को लेकर सोशल मीडिया पर कहा गया था कि, यह सोने की बनी है। 

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दरअसल ये छत्तीसगढ़ में उगने वाली घास और एक फूल से बनी माला है। इसे बीरन माला कहते हैं।

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ये सूताखर नाम की घास और मुआ के फूल की डंडी से बनाई जाती है। इस माला को बैगा जनजाति के लोग स्वागत में इस्तेमाल करते हैं।

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खिरसाली नाम के पेड़ के तने और सुताखंड और मुंजा घास के रेशों से बनाया जाता है। माला को गूंथने के लिए मुंजा घास का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है।  

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यह अक्टूबर-नवंबर माह में उगती है। पहले खिरसाली के तने को छीलकर समान आकार के छल्ले बनाए जाते हैं। 

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गूंथी गई इस माला को बाद में हल्दी के घोल में डुबा कर सुखाया जाता है। अन्य प्राकृतिक रंगों में भी इन्हें रंगा जा सकता है। 

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बैगा आदिवासी मानते हैं कि इसे धारण करने से आसन्न संकट भी टल जाता है। उनकी धार्मिक आस्था भी इससे जुड़ी हुई है।

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