काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच राख की होली खेली जाती है।
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महाश्मशान में चिता पर जलाए गए इंसानों की राख से काशी में खेली जाती है होली।
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इस साल 4 मार्च को काशी के मणिकर्णिका घाट पर खेली जाएगी चिता भस्म की होली।
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कहा जाता है कि महादेव अपनों प्रिय गणों के साथ महाश्मशान में खेलते हैं होली।
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मणिकर्णिका घाट पर बाबा मसान नाथ की पूजा करने के बाद खेली जाती है होली।
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इस होली में ढोलक, मंजीरा और डमरू की थाप पर बाबा के भक्त जमकर जश्न मनाते हैं।
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मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन महादेव मां पार्वती को विदा कर काशी लाते हैं।
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विदाई के बाद दूसरे दिन मणिकर्णिका घाट बाबा अपने प्रिय गणों के साथ खेलते हैं होली।
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रंगभरी एकादशी के दिन से ही बाबा की नगरी काशी में होली का त्योहार शुरू हो जाता है।
इन बातों का ध्यान रखकर मनाएं होली...
होली पर इन बातों का रखें ध्यान