खजुराहो में 'डांस फेस्टिवल' की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। तब से देश—दुनिया के कलाकार मंच पर प्रस्तुति देते आ रह
े हैं।
मप्र के उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी द्वारा डांस फेस्टिवल का 49 वर्षों से आयोजन कर रहे हैं।
खजुराहो में प्रति वर्ष नृत्यों के समृद्ध सांस्कृतिक रूप को देखने विदेशों तक से कला प्रेमी आते हैं।
खजुराहो नृत्य महोत्सव की जड़ें प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाओं में देखी जा सकती है।
डांस फेस्टिवल में कथक, भरतनाट्यम, और कुचिपुड़ी नृत्य हिंदू शास्त्रों और ग्रंथों में महत्वपूर्ण हैं।
खजुराहो में मध्यकालीन हिंदू और जैन मंदिरों का देश का सबसे बड़ा समूह है।
खजुराहो मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह 12वीं शताब्दी में निर्मित चंदेल राजाओं की अंतिम धरोहर है।
खजुराहो डांस फेस्टिवल हर साल पश्चिम मंदिर समूह प्रांगढ़ में आकर्षक तरीके से किया जाता है।
खजुराहो के मंदिर नागर शैली के मंदिरों का एक अद्भुत उदाहरण हैं।
खजुराहो समूह के स्मारकों को 1986 से यूनेस्को की 'विश्व धरोहर' स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है ।
खजुराहो पहले खजूर के जंगलों के लिए मशहूर था, जबकि खजुराहो मंदिर का प्राचीन नाम 'खर्जुरवाहक' है।